नमस्ते दोस्तों दोस्तों यहां आज आपको रविंद्रनाथ टैगोर जी की जयंती के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी कि यह क्यों मनाई जाती है कैसे मनाई जाती है और कब मनाई जाती है रविंद्र नाथ टैगोर जी कैसे व्यक्ति थे यह सारी जानकारी आपको यहां मिलेंगी !
रवींद्रनाथ टैगोर जी का व्यक्तित्व -
दोस्तों बीसवीं शताब्दी के शुरुआती दशकों में भारतीय राजनीति को दो ऐसे राजनेता मिले जो ए द्वितीयक राज विचारक भी थे उन्होंने राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी यह थे महात्मा गांधी और रविंद्र नाथ टैगोर गांधी जहां अपने सत्य और अहिंसा के बहुमूल्य विचारों के से लोगों को प्रभावित करते थे और भारत को आजाद दिलाई वहीं दूसरी तरफ रविंद्र नाथ टैगोर अपने आधुनिक विचारों कविताओं तथा राष्ट्रवाद विचारों के जरिए एक नई लकीर खींच दी रविंद्र नाथ टैगोर एक कहानीकार कभी गीतकार संगीतकार निबंधकार नाटककार तथा चित्रकार यह सारी खूबियां रविंद्र नाथ टैगोर जी के अंदर थी उनकी जयंती 7 मई को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है रविंद्र नाथ टैगोर जयंती क्यों मनाई जाती है तथा टैगोर सिंह का जीवन परिचय रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुर परिवार में हुआ था भारत में हर वर्ष 7 मई को रविंद्र नाथ टैगोर जयंती को धूमधाम से मनाया जाता है उनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर एक जाने-माने समाज सुधारक थे टैगोर की पढ़ाई सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई थी लंदन में होने कानून की पढ़ाई की पर बिना डिग्री लिए ही वापस भारत चले आए रविंद्र नाथ टैगोर की रविंद्र नाथ टैगोर एक बैरिस्टर बने वैसे उनके बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर ने 1864 में इंडियन सिविल सर्विस पास की और देश के पहले आईसीएस बने टैगोर की शादी 1883 में मनिहार लिली देवी के साथ हुई थी रवीना टैगोर को गुरुदेव भी कहा जाता है !
बचपन में ही उनका रुझान कविता और कहानी लिखने की और हो चुका था उन्होंने अपने फनी कविता 8 साल की उम्र में लिखी थी 1877 में वह 16 साल के थे जब उनकी पहली लघु कथा प्रकाशित की हुई थी गुरुदेव की उनकी सबसे लोकप्रिय कथा गीतांजलि के लिए 1913 में नोबेल अवार्ड से सम्मानित किया गया था टैगोर को नाइटहुड की उपाधि भी मिली हुई थी जिसे टैगोर ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद लौटा दिया था 1921 में उन्होंने शांतिनिकेतन की नींव रखी थी इससे विश्व भारती यूनिवर्सिटी के नाम से जी जाना जाता है रविंद्र नाथ टैगोर जी की रचनाएं 2 देशों का राष्ट्रगान बने भारत का "जन गण मन" और बांग्लादेश का "आमार सोनार बांग्ला" उन्हीं की रचना है वहीं श्रीलंका का राष्ट्रीय गीत "श्रीलंका मत्था" भी टैगोर जी की कविताओं से प्रेरित होकर बना है सी लिखने वाले आनंद शमां कून शांतिनिकेतन में टैगोर के पास में रहे थे और उन्होंने कहा था वह टैगोर के "टैगोर स्कूल ऑफ पोएट्री" से बेहद प्रभावित थे दुख दिया है कि कुछ साल पहले टैगोर की रचनाओं को बांग्लादेशी स्कूलों से हटाने की बात सामने आई थी 2 साल पहले बांग्लादेश की सरकार ने कहा कि स्कूलों के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया था जिसमें टैगोर कुछ कविताओं को हटा दिया गया !
हम अपने देश भारत के राष्ट्रगान जन गण मन अर्थ को जानते हैं हम जब कभी भी अपने राष्ट्रगान सुनते हैं तो हमारे मन में राष्ट्रप्रेम का भाव अपने आप जागृत हो जाता है हम सबको मालूम है कि हमारे देश का राष्ट्रगान श्री रविंद्र नाथ टैगोर जी ने लिखा था और "7 अगस्त " के दिन को हम सभी रविंद्र नाथ टैगोर की पुण्यतिथि के रूप में मनाते हैं यही नहीं पूरा विश्व है 7 अगस्त के दिन को याद करता है !
चलिए जानते हैं राष्ट्रगान के बारे में कुछ रोचक तथ्य अर्थ दोस्तों हमारे देश का राष्ट्रगान सबसे पहले 1911 में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा बंगाली भाषा में लिखा गया था और फिर जन गण मन के हिंदी संस्करण को भारतीय संविधान सभा द्वारा 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान के रूप में स्वीकृति प्रदान की गई सबसे पहले राष्ट्रीय गान जन गण मन को 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था !
इस गीत का प्रकाशन सबसे पहले 1912 "तत्वबोधिनी पत्रिका" में "भारत विधाता" शीर्षक में हुआ था !
साल 1919 में "मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया" के नाम से से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया था राष्ट्रगान में सिर्फ उन्हीं राज्यों का वर्णन है जो तत्कालीन ब्रिटिश शासन के अधीन थे जैसे पंजाब सिंध गुजरात मराठा आदि लेकिन पुर्तगाल के अधीन तत्काल एक भारतीय राज्यों का उल्लेख इसमें नहीं किया गया था जन गण मन अधिनायक ,जय हे ! का मतलब है कि. (Thou art the ruler of the minds of all people, victory to thee)
रविंद्र नाथ टैगोर जी के कुछ मशहूर कथन- रविंद्र नाथ टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिन्हें दुनिया गुरुदेव कहकर पुकारते है आइए जानते हैं टैगोर जी के कुछ प्रमुख कथन
- उपदेश देना सरल है ,पर उपाय बताना कठिन !
- खुश रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है !
- यदि आप सभी त्रुटियों के लिए दरवाजा बंद कर दोगे, तो सच अपने आप बाहर बंद हो जाएगा !
- दोस्ती की गहराई, परिचित की लंबाई पर निर्भर नहीं करती !
- संगीत, दो आत्माओं के बीच अनंत मरता है !
- तथ्य कई है, लेकिन सच यही है !
- जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में कह नहीं सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है !
- जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आष्टा देती है, उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देती है !
- विश्वविद्यालय महापुरुषों के निर्माण के कारखाने हैं, और अध्यापक उन्हें बनाने वाले कारीगर है. !