Janmashtami | Celebration, Date, India, & Facts ..जन्माष्टमी या कृष्ण जन्मोत्सव क्या है ..

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 जन्माष्टमी या कृष्ण जन्मोत्सव क्या है जन्माष्टमी जिस के आगमन से पहले ही उसकी तैयारियां जोर शोर से आरंभ हो जाती हैं पूरे भारतवर्ष में इस त्यौहार का उत्सव देखने योग्य होता है चारों ओर का वातावरण भगवान श्री कृष्ण के रंग में डूबा हुआ होता है जन्माष्टमी पूर्ण आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है  !

पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु पृथ्वी को पापियों से मुक्त कराने के लिए कृष्ण रूप में अवतार लिया था भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव के आठवीं पुत्र रूप में मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था दोस्तों मथुरा जो लग रही थी वहां का राजा कंस बड़ा ही जालिम और अत्याचारी था उसके अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे उसके राज्य में प्रत्येक नागरिक अत्याचारों से तंग आया हुआ था दोस्तों एक बार आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र है कंस का वध करेगा यह सुनकर राजा कंस बहुत ही क्रोधित हुआ और क्रोधित होकर वह अपनी बहन देवकी तथा उसके पति वासुदेव को काल कोठरी में बंद कर देता है तथा सैनिकों को उनके ऊपर नजर रखने का आदेश दिया सैनिकों को कहा गया कि जब भी देवकी किसी बच्चे को जन्म दे मुझे तुरंत सूचना दी जाए दोस्तों इसके बाद कंस ने एक-एक करके देवकी के 7 बच्चों को मार डाला लेकिन जब देवकी ने अपने आठवें पुत्र यानी श्री कृष्ण को जन्म दिया तो भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया की श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा मत्था नंद बाबा के घर पहुंचा दिया जाए जिससे वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सके इसके बाद वासुदेव ने श्री कृष्ण को सुरक्षित यशोदा माता तथा नंदलाल के घर पहुंचा दिया तथा यशोदा माता कथा नंदलाल द्वार जन्मे गए बच्चे को वापस लाकर कालकोठरी में रख दिया दोस्तों वासुदेव के जाने से लेकर आने तक सारे सिपाही भगवान विष्णु की माया से प्रभावित होकर बेहोश पड़े थे जब कंस को देवकी के आठवें पुत्र के जन्म के बारे में पता चला तब वह जेल में आकर आठवें पुत्र को मार डाला तथा आकाश की तरफ देख कर खुशी से चिल्लाने लगा कि देखो मैंने आकाशवाणी को बदल दिया मेरी मौत को मैंने स्वयं अपने हाथों से मार डाला लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उसकी मृत्यु सुरक्षित गोकुलधाम में पहुंच चुकी है श्री कृष्ण का लालन-पालन माता यशोदा तथा नंदलाल के देखरेख में हुआ तथा श्री कृष्ण बड़े होकर कंस का वध करके नगरी को उसके अत्याचारों स मुक्त कर दिया बस दोस्तों श्री कृष्ण के जन्म लेने के बाद ही जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाने लगा माता यशोदा तथा नंदलाल ने मिलकर संपूर्ण गांव वासियों के साथ पहली बार जन्माष्टमी का त्योहार मनाया था उसके बाद सारे देश में प्रति वर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाने लगा 

जन्माष्टमी कैसे बनाते हैं - 

दोस्तों ! जन्माष्टमी त्योहार को स्मार्थ तथा वैष्णो संप्रदाय के लोग अपने अनुसार अलग-अलग ढंग से मनाते हैं !

श्रीमद् भागवत को प्रमाण मानकर स्मार्थ समुदाय को मानने वाले चंद्रमा व्यापम अष्टमी अर्थात रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाते हैं तथा वैष्णो समुदाय को मानने वाले लोग उदय काल व्यापम अष्टमी एवं उदय काल रोहिणी नक्षत्र को जन्माष्टमी का पावन त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं दोस्त जन्माष्टमी का त्योहार विभिन्न रूपों में मनाया जाता है कहीं रंगो की होली होती है तो कहे फूलों की तो कहीं इत्र की सुगंध का उत्सव होता है तो कहीं दही हांडी फोड़ने का जोश तो कहीं इस पावन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण की महक छवियां देखने को मिलती हैं मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है भक्त इस अवसर पर व्रत एवं उपवास का पालन करते हैं इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलाया जाता है तथा कृष्ण रास लीलाओं का आयोजन होता है जन्माष्टमी के शुभ अवसर के समय भगवान श्री कृष्ण के दर्शनों के लिए लोग दूर-दूर से मथुरा पहुंचते हैं मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है मथुरा के सभी मंदिरों को रंग बिरंगे फूलों तथा लाइटों से सजाया जाता है में आयोजित होने वाले श्री कृष्ण जन्मोत्सव को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि देशों से भी लाखों की संख्या में कृष्ण भक्त वहां उपस्थित होते हैं भगवान के विग्रह पर हल्दी दही तेल गुलाब जल मक्खन केसर कपूर इत्यादि चढ़ा कर लो एक दूसरे पर उसका छिड़काव करते हैं इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती तथा श्री कृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है !

जन्माष्टमी व्रत पूजा विधि -

 दोस्तों! शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत का पालन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है यह व्रत कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है भगवान श्री कृष्ण की पूजा आराधना का यह पावन पर्व सभी को कृष्ण भक्ति से परिपूर्ण करता है यह व्रत सनातन धर्मों के लिए अनिवार्य माना जाता है इस दिन उपवास रखे जाते हैं तथा कृष्ण भक्ति के गीतों का श्रवण किया जाता है घरों में पूजा स्थल पर तथा मंदिरों में श्री कृष्ण के जन्म की झांकियां सजाई जाती हैं  !

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रातः काल उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र नदियों में पोखरा में या घर मैं स्नान इत्यादि करके जन्माष्टमी व्रत का संकल्प किया जाता है पंचामृत एवं गंगा जल से माता देवी की और भगवान श्री कृष्णा को सोने चांदी तांबा पीतल मिट्टी के मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करते हैं तथा श्री कृष्ण की मूर्ति को नए वस्त्र धारण कर आते है बाल गोपाल के प्रतिमा को पालने में बिठाते हैं तथा 16 उपचारों से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं पूजन में देवकी वासुदेव नंद यशोधरा और लक्ष्मी अन्य नामों का उच्चारण करते हैं तथा उनकी मूर्तियां भी स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है !

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