हस्तमुद्रा के लाभ पदमामुद्रा तथा ज्ञानमुद्रा तथा शरीर में प्राण शक्ति तथा स्मरण शक्ति को बढ़ाने के कुछ आसन ..

Rahul Kushwaha
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 हस्तमुद्रा के लाभ पदमामुद्रा तथा ज्ञानमुद्रा तथा शरीर में प्राण शक्ति तथा स्मरण शक्ति को बढ़ाने के कुछ आसन ...


योग में मुद्रा को महत्वपूर्ण माना गया है योग में ध्यान व साधना के समय हाथ के द्वारा जो भिन्न-भिन्न कुछ विशेष आकृतियां बनाई जाती है उन्हें हस्त मुद्रा कहते हैं ।

हस्त मुद्रा में दो शब्द हैं हस्त और मुद्रा हस्त का अर्थ है हाथ और मुद्रा का अर्थ होता है आकृति बनाना इस अध्ययन में आपको दो हस्त मुद्राओं की जानकारी दी जाएगी इसके नाम है पदमा मुद्रा और ज्ञान मुद्रा जिनका संबंध संसार के पांच तत्वों से है ।

आइए आपको सबसे पहले हाथ की पांच उंगलियों व पांच तत्वों के बारे में बताते हैं ।

हाथ की पांचों उंगलियां -


बच्चों यह सारा संसार पांच तत्व अग्नि वायु आकाश पृथ्वी एवं जल से बना है हमारा शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है हमारे शरीर की पांचों उंगलियां पांच तत्वों का नियमन करती हैं अंगूठे का अग्नि से है तर्जनी का वायु से है मध्यमा का आकाश से है अनामिका का पृथ्वी से है तथा कनिष्ठा का संबंध जल तत्व से है

हस्त मुद्रा बनाने की विधि -

पदमा मुद्रा -



पद्म का अर्थ है कमल कमल पवित्रता एवं सौंदर्य का प्रतीक है कमल के समान हाथों की उंगलियों को फैलाने से पद्म मुद्रा बनती है ।

आइए करके सीखते हैं ।

  • सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाओ ।
  • हम उन दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में मिला दो ।
  • इसके बाद केवल दोनों अंगूठे एवं सबसे छोटी उंगली परस्पर मिला कर रखो जैसा की चित्र में दिखाया गया है शेष अंगुलिया सामने सामने रहती हैं ।

  • इस प्रकार मुद्रा बना लेने के बाद आंखें बंद कर लो ।
  •  इस मुद्रा का अभ्यास 2 से 5 मिनट तक करो ।


हस्त मुद्रा करने के लाभ -

  • इस मुद्रा से शरीर में प्राण शक्ति का संचार होता है ।
  • यह मुद्रा शरीर की गर्मी को कम करता है ।
  • मूत्र संबंधी रोगों को दूर करने में यह मुद्रा सहायता देती है ।

ज्ञान मुद्रा -

स्मरण शक्ति और ज्ञान को बढ़ाने के लिए जिस मुद्रा का प्रयोग किया जाता है उसे ज्ञान मुद्रा कहते हैं ।

आओ करके सीखे -

  • आराम से सुखासन ब्रज आसन या पद्मासन में बैठ जाओ ।
  • अब अनुष्का और तर्जनी उंगली के आगे के भागों को आपस में मिला लो ।
  • शेष तीनों अंगुलियों को सीधा रखते हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है ।
  • कम से कम 5 से 15 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास अवश्य करें ।

ज्ञान मुद्रा का लाभ -

  • बुद्धि का विकास होता है ।
  • स्मरण शक्ति बढ़ती है और पढ़ाई में मन लगता है ।
  • स्वभाव में परिवर्तन होता है जिद्दी पंचशील चिड़ा पन और उतावलापन में कमी आती है ।
  • मन शांत और प्रसन्न रहता है ।
  • मस्तिष्क के स्नायु शक्तिशाली बढ़ते हैं ।
  • मस्तिक सिर दर्द एवं अनिद्रा का आरोप दूर होता है ।

ज्ञान मुद्रा का प्रयोग -

ज्ञान मुद्रा का प्रयोग प्राणायाम ध्यान संबंधी गतिविधियों को करते समय बच्चों से अवश्य कराएं।



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