सूर्य नमस्कार करने के फायदे तथा सूर्य नमस्कार कैसे करें

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सूर्य नमस्कार करने के फायदे तथा सूर्य नमस्कार कैसे करें



 संपूर्ण शरीर को आरोग्य एवं शक्ति एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है इससे शरीर के सभी प्रत्यगो में क्रियाशीलता बढ़ती है तथा शरीर की आंतरिक ग्रंथियों के अंतः स्रावी प्रक्रिया का नियमन होता है सूर्य नमस्कार प्रातः सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके अधिक लाभप्रद होता है सूर्य नमस्कार प्रातः सुबह खाली पेट अपनी सुविधा के अनुसार इस अभ्यास को कर सकते हैं इसकी बाहर आकृतियों को करते समय पूरक कुंभक तथा रेचक का ध्यान रखकर करने से आप को विशेष लाभ मिलता है सूर्य नमस्कार अपने आप में एक स्वतंत्र और पूर्ण व्यायाम है इसमें भी रीड के घुमावदार व्यायाम की भांति 12 क्रियाएं होती हैं इसे 12 आसन का समुदाय कह सकते हैं हर एक क्रिया अथवा आसन को करते हुए ईश्वर अल्लाह गॉड के प्रति नमस्कार स्मरण व धन्यवाद कर सकते हैं जैसे कि --

  • हे विश्व के मित्र आपको नमस्कार है !
  • हे संसार में चहल-पहल लाने वाले आपको नमस्कार है !
  • हे संसार को जीवन देने वाले आपको नमस्कार है !
  • हे प्रकाश पुंज आपको नमस्कार है !
  • हे आकाश में गति करने वाले देव आपको नमस्कार है !
  • हे संसार के पोषक आपको नमस्कार है !
  • हे ज्योतिर मैं आनंदमय आपको नमस्कार है !
  • हे संसार के रक्षक आपको नमस्कार है !
  • हे विश्व को उत्पन्न करने वाले आपको नमस्कार है !
  • हे अपवित्रता के शोधक आपको नमस्कार है !
  • हे अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाने वाले आपको नमस्कार है !

सूर्य नमस्कार के सामान्यता नियम

  • सूर्य नमस्कार प्रातः समय करना अधिक लाभकारी होता है !
  • सूर्य नमस्कार की 12 स्थितियों को एक बार पूरा करने पर एक चक्र कहलाता है सूर्य नमस्कार आसन का अधिक लाभ उठाने के लिए कम से कम 10 मिनट में 15 चक्र अवश्य करने चाहिए !
  • इसकी बारह आकृतियों को करते समय पूरक कुंभक रेचक का विशेष ध्यान रखना चाहिए !
  • योग में इनका अर्थ इस प्रकार है !
  • पूरक श्वास अंदर लेना पूरक कहलाता है !
  • रेचक श्वास बाहर छोड़ना रेचक कहलाता है !
  • कुंभक कुंभा का अर्थ है सांस रोकना !
  • बीमार होने पर हमें सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए अथवा योग शिक्षक से सलाह लेकर धीरे-धीरे कर सकते हैं ।

सूर्य नमस्कार करने की विधि निम्न प्रकार से है ।

  1. सूर्य नमस्कार प्रातः काल खाली पेट जब आसन प्रारंभ करना हो तो पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खड़े होकर नमस्कार की स्थिति में हाथों को छाती के सामने रखें पैरों के पंजे और एड़ियां मिली हुई हो ।

  2.  सांस अंदर भर कर सामने से हाथों को खोलते हुए पीछे की ओर ले जाए दृष्टि आकाश की ओर रहे कमर को यथाशक्ति पीछे की ओर झुकाए ।

  3.  स्वास बाहर निकालकर हाथों को पीछे के सामने झुकाते हुए पैरों के पास जमीन पर टिका दें यदि हो सके तो हथेलियों को भी भूमि से स्पर्श करें तथा सिर को घुटनों से लगाने का प्रयास करें यह पादहस्तासन है ।

  4. अब नीचे झुकते हुए हथेलियों को हाथी के दोनों ओर टीका कर रखें बाया पैर उठाकर पीछे भुजंगासन की स्थिति में ले जाएं । दाया पैर दोनों हाथों के बीच में रहे घुटना छाती के सामने रहे तथा पैर में एड़ी भूमि पर टिकी हुई हो दृष्टि आकाश की ओर हो श्वास अंदर भरकर रखें !

  5. श्वास बाहर निकालकर दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं गर्दन और सिर दोनों हाथों के बीच रहे नितंब और कमर ऊपर उठा कर तथा सिर को झुका कर नाभि को देखें इसे हम पर्वतासन भी कहते हैं !

  6. हाथों एवं पैरों के पंजों को स्थिर रखते हुए छाती एवं घुटनों से भूमि पर स्पर्श करें इस प्रकार दोनों हाथ दोनों पैर और दोनों घुटने छाती एवं शेर इन 8 रंगों के भूमि पर टिकने से यह संस्टागासन भी कहलाता है स्वास प्रवास सामान्य रहे !

  7. श्वास अंदर भरकर छाती को ऊपर उठाते हुए आकाश की ओर दृष्टि रखें कमर भूमि पर टिकी हुई हो हाथ एवं पैर सीधे रखें या भुजंगासन कहलाता है !

  8. श्वास बाहर निकाल कर दोनों पैरों को पीछे ले जाएं गर्दन और सिर दोनों हाथों के बीच रखें नितंब और कमर ऊपर उठाकर तथा सिर को झुका कर नाभि को देखें ।

  9. अब ऊपर उठते हुए हथेलियों को छाती के दोनों और भूमि पर टिका कर रखें दाएं पैर उठाकर पीछे भुजंगासन की स्थिति में रहते हुए बाया पैर दोनों हाथों के बीच में रखें घुटना छाती के सामने रहे तथा पैर की एड़ी भूमि पर टिकी हुई हो दृष्टि आकाश की ओर हो श्वास अंदर भरकर रखें !
  10. स्वास बाहर निकालकर दाएं पैर को बाएं पैर के पास ले जाएं चित्र अनुसार हथेलियों से भूमि को स्पर्श करें तथा सिर को घुटने से लगाने का प्रयास करें !

  11. सांस अंदर भरकर सामने से हाथों को खोलते हुए पीछे की ओर ले जाएं दृष्टि आकाश की ओर रहे कमर को भी यथाशक्ति पीछे की ओर झुकाए यह हस्तोतासन भी कहलाता है !

  12. सूर्य की ओर मुख करके पूर्व दिशा की ओर खड़े होकर नमस्कार की स्थिति में हाथों को छाती के सामने रखें !

सूर्य नमस्कार के लाभ व सूर्य नमस्कार करने के फायदे

  • सूर्य नमस्कार एक पूर्ण व्यायाम है इससे शरीर के सभी अंग प्रत्यंग बलिष्ठ एवं निरोग होते हैं ।
  • पेट अमाशय हृदय एवं फेफड़ों को स्वस्थ करता है ।
  • मेरुदंड एवं कमर को लचीला बनाता है वहां आई विकृति को दूर करता है ।
  • संपूर्ण शरीर में रक्त संचार को अच्छी तरह से संपन्न करता है इसलिए रक्त की अशुद्धि को भी दूर कर चर्म रोगों का नाश करता है ।
  • सूर्य नमस्कार संपूर्ण शरीर को पूर्ण आरोग्य प्रदान करता है अतः में प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार अवश्य करना चाहिए ।


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