Oknews - Health | योग बनाता है आपको संपूर्ण और शक्तिशाली योग का मानव जीवन पर प्रभाव ,योग के माध्यम से अपने सभी चक्रों को जागृत करने के तरीके....

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 योग के माध्यम से अपने सभी चक्रों को जागृत करने के तरीके

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योग व माध्यम है जिससे हम स्वयं से अवगत होते हैं तथा स्वयं की सारी शक्तियों का अनुभव तथा प्रयोजन सीखते हैं योग से मानव जीवन की सभी सीमित असीमित उपलब्धियों का ज्ञान होता है ! 

अध्यात्म जीवन बहुत ही सुंदर और शांतिपूर्ण जीवन होता है मनुष्य के शरीर में बहुत सारे ऐसे दिव्य शक्तियां हैं जिनका उसे एहसास भी नहीं है आज आपके शरीर में इन सभी शक्तियों के भागों का अध्ययन करेंगे

मनुष्य के शरीर में अलग-अलग ऊर्जा स्तर के आधार पर चक्र के रूप में ऊर्जा को दर्शाया गया है इंसान के शरीर में सात ऊर्जा चक्र होते हैं जिनमें से पहला है !

मूलाधार चक्र : मूलाधार चक्र क्या मनुष्य के मल द्वार और लिंग के बीचो बीच चार पत्ती वाला एक चक्र होता है इसे आधार चक्र के नाम से भी जाना जाता है और 99% लोगों की चेतना इसी आधार चक्र में रहकर अपना पूरा जीवन व्यतीत कर लेती है और वह इस चक्र में ही रह कर अपना जीवन यापन कर लेते हैं !

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दूसरे शब्दों में कहें तो जो लोगों के जीवन में भूख संभोग और नींद को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं या अधिकतर इन के ही अधीन रहते हैं उनकी शरीर की सारी ऊर्जा इसी चक्र पर एकत्रित रहती है और वह हमेशा तनाव तथा अपूर्णता में ही रह जाते हैं अगर मनुष्य का मूलाधार चक्र जागृत हो जाए तो मनुष्य इन सभी भोग संभोग और निद्रा से मुक्त होकर एक आनंदमय जीवन व्यतीत करेगा आधार चक्र जागृत होने के बाद मनुष्य खुश रहता है तथा उसकी दिमागी क्षमता मजबूत होती है वीरता का अनुभव होता है और भी बहुत सारे बदलाव होते हैं !


मूलाधार चक्र को जागृत करने के लिए योग की अवस्था में बैठकर आपको इस मूलाधार चक्र पर ध्यान लगाना होगा आपका ध्यान जितना स्थिर होगा उतना ही आप इस चक्र को जागृत कर सकेंगे और इस चक्र को जागृत करने के लिए एक मंत्र का प्रयोग भी आप कर सकते हैं जो मंत्र है लं इस शब्द का ध्यान अपने मन के अंदर करें और अपने मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें आपका ध्यान जितना गहरा होगा आप चक्र को आसानी से जागृत कर सकेंगे और और इस चक्र के जाग्रत होने पर वीरता आनंद और मन में स्थिरता आती है जो सिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक है !

स्वाधिष्ठान चक्र : स्वाधिष्ठान चक्र आधार चक्र के ऊपर स्थित होता है इसमें 6 पंक्तियां होती हैं इसका मंत्र है वं हमारे जीवन में मनोरंजन बहुत जरूरी होता है लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं होती जो बिल्कुल सही है और यह मनोरंजन ही तो है जो मनुष्य की चेतना को बेहोशी की तरफ धकेलता है उदाहरण के लिए अगर आप कोई नाटक अथवा फिल्मों को देखते हैं तो आप थोड़े समय के लिए उस कैरेक्टर में खो जाते हैं और यह जानते हुए भी कि यह एक नाटक है उन सभी कैरेक्टर को निभा रहे इमोशंस को आप अपने से जोड़कर महसूस करते हैं !


 और आपको वह सारे इमोशंस असली में महसूस होता है स्वाधिष्ठान चक्र के जागृत हो जाने के बाद आपके अंदर की क्रूरता घमंड आलस अवज्ञा अविश्वास इन सभी दुर्गुणों का नाश होता है और आप सही और गलत को समझने की काबिलियत आ जाती है आपके जीवन में क्या सही है और क्या सही होना चाहिए वह सही चीजें आपको महसूस होने शुरू हो जाएंगे


 आप योग अवस्था में बैठकर वं मंत्र का ध्यान करते हुए अपने स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान लगाएं इस तरह आप स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत कर पाएंगे ! 

मणिपुर चक्र : यह इंसान की नाभि के मूल में स्थित है जो कि 10 कमल पंखुड़ियों द्वारा युक्त होता है इसका मंत्र है रं इस चक्र के जागृत होने पर आपके अंदर आत्मविश्वास तथा सकारात्मक ऊर का विस्तार बढ़ जाता है और आपके किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नए रास्ते तथा एक सकारात्मक सोच आती है 


मणिपुर चक्र आपको सफलता तक पहुंचाने वाला चक्र है ।इस चक्र की सबसे विशेष बात यह है कि यह आपके किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक पोटेंशियल प्रदान करता है और एक आत्मविश्वास को जन्म देता है जिससे आप अपने लक्ष्य पर अकेले ही चल सकते हैं और उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं 

इस चक्र को जागृत करने के लिए योगा अवस्था में बैठकर रं मंत्र का ध्यान करें और अपने मणिपुर चक्र पर ध्यान केंद्रित करें !

अनाहत चक्र : यह चक्र आपके दिल और नाभि के बीच होता है इसका मंत्र यं होता है अनाहत चक्र में 12 पंखुड़ियां होती हैं इस चक्र के जाग्रत होने पर आपके चारों तरफ के एनवायरमेंट में आपकी सकारात्मक ऊर्जा फैल जाती है और आप एक सकारात्मक एनवायरमेंट में रहते हो आप किसी भी व्यक्ति के पास जाने पर उस व्यक्ति पर आप का असर पड़ जाता है और वह आपसे काफी अट्रैक्ट भी हो जाता है !


आप आम लोगों की अपेक्षा से अधिक सोचने लगेंगे आपका दिमागी स्तर आम लोगों की तुलना में काफी बढ़ जाएगा हो सकता है लोग आपको पागल भी कहने लगे लेकिन आपकी सोच क्षमता काफी प्रबल हो जाएगी तथा आपके अंदर से हिंसा चिंता मोह अंधकार और अहंकार सब कुछ समाप्त हो जाएगा और आप सकारात्मक सोच के साथ जीवन में काफी दूर तक के फैसले सही रूप से ले सकेंगे यहां से आप महापुरुषों की श्रेणी मे आने लगोगे अनाहत चक्र को जागृत करने के लिए ध्यान की अवस्था यं मंत्र का ध्यान करना है !

विशुद्धि चक्र : यह आपके कंठ यानी गले में स्थित होता है जो कि 16 पंखुड़ियों वाला है इस चक्र का मंत्र है हं इस चक्र के जागृत हो जाने से आपके शब्दों में ठहराव तथा स्थिरता और मधुरता आ जाती है 


और आपके कहे हुए शब्दों पर यह प्रकृति भी प्रतिक्रिया देने लगती है ऐसा लगता है मानो यह प्रकृति आपके कहे हुए शब्दों का सम्मान करने लगी हो इस चक्र के जागृत होने पर आप अपनी भूख प्यास पर नियंत्रण रख सकते हैं तथा बाहरी नकारात्मक ऊर्जा जो आपकी तरफ आ रही हो उसको रोकने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है तथा मौसम के प्रभाव की वजह से जो बीमारियां होती हैं !


 बीमारियों से भी आप आसानी से बच सकते हैं और किसी भी एनवायरमेंट में रहने की क्षमता उत्पन्न जाती है इस चक्र को जागृत करने के लिए योग की अवस्था में बैठकर हं मंत्र का ध्यान करें 

आज्ञा चक्र : आज्ञा चक्र को हम तीसरी आंख third eye के नाम से जानते है जोकि दोनों आंखों के मध्य थोड़ा ऊपर की तरफ होता है इस चक्र का मंत्र ॐ होता है !

 आपके आज्ञा चक्र पर अपार शक्तियां तथा सिद्धियां निवास करती हैं इस चक्र के जागने के बाद आपके अंदर की सभी शक्तियां जागृत हो जाती हैं और आप एक सिद्ध पुरुष बन जाते हैं आप वह चीजें भी देख सकते हैं जो कोई नहीं देख सकता आप समय के हराया में जाकर आने वाली घटना तथा आने वाली संभावनाओं को देख सकते हैं और आप वह सभी चीजें पहले ही महसूस कर लेंगे जो चीजें होने वाली है 

आज्ञा चक्र जागृत हो जाने के बाद आप प्रकृति की उर्जा से जुड़ जाते हैं और फिर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आपकी ऊर्जा कितनी ज्यादा बढ़ गई प्रकृति की उर्जा आपके जुड़ने के बाद आपके अंदर अद्भुत शक्तियों का एहसास होगा और आपके लिए कोई भी चीज असंभव नहीं लगेगा !

शास्त्रहार चक्र : दिमाग के मध्य भाग में यानि जहां आपकी चोटी का स्थान होता है वहां स्थित होता है इस चक्र का मंत्र वही है जो आज्ञा चक्र का है ॐ 


अगर कोई ध्यान करते हुए शास्त्रहार चक्र तक पहुंच गया तो उस व्यक्ति को सांसारिक किसी भी वस्तु से कोई भी मोह नहीं रह जाता वह स्वयं एक ऊर्जा बन जाती है जो हमेशा दूसरों के काम आती है

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इस चक्र के जाग्रत होने के बाद यह सभी चक्रों की ऊर्जा से मिल जाता है और सभी चक्र एक ऊर्जा में समाहित होकर मनुष्य को दूसरे आयाम में पहुंचा देते हैं जहां वह अत्यंत शक्तिशाली तथा एक सिद्ध पुरुष बन जाता है इन सभी चक्रों का जागरण करने वाला ही सिद्ध पुरुष कहलाता है और उसके लिए कोई भी कार्य या किसी भी लक्ष्य तक पहुंचना आसान हो जाता है और ऐसे पुरुष भगवान बुद्ध की श्रेणी में आ जाते हैं

जब यह सभी चक्र मनुष्य के जागृत हो जाते हैं तो वह शक्तिशाली मनुष्यों की श्रेणी में आ जाता है प्राचीन काल में ऐसे बहुत से योद्धा और महर्षि हुए हैं जिन्होंने योग के माध्यम से बहुत ही जटिल से जटिल काम में किए तथा मानव जीवन को एक सही मार्ग दिखलाएं !

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मानव शरीर के लिए बहुत सारी विचित्र बातें हैं और भी बहुत सारी आध्यात्मिक विज्ञान में रहस्य है मानव शरीर के लिए उनका विवरण प्रदान करेंगे धन्यवाद!

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